Maut Se Than Gai (Shri Atal Bihari Vajpai) By Rj Vashishth
जूझने का मेरा
कोई ईरादा
ना था..
मोड़ पर मिलेंगे
इसका वादा
ना था..
रास्ता रोक कर वो कड़ी
हो गई..
यूँ लगा ज़िन्दगी
से बड़ी
हो गई..
मौत की उम्र
क्या है दो पल भी नहीं..
ज़िन्दगी सिलसिला आजकल
की नहीं..
मैं जी भर जिया, मैं
मन से मरू..
लौट के आऊंगा,
कूच से क्यों डरु..
तू दबे पाव
चोरी छिपे
से ना आ..
सामने वार कर फिर मुझे
आज़मा..
मौत से बेखबर
ये ज़िन्दगी
का सफर..
शाम हर सुरमई
और रात
बंसी का स्वर..
बात ऐसी नहीं
है कि कोई गम नहीं है..
दर्द, अपने पराये
कुछ कम भी नहीं
है..
प्यार इतना परायों
से मुझको
मिला..
ना अपनों से बाकी है कोई गिला..
हर चुनौतियों से दो हाथ
मैंने किये..
आँधियों में जलाये
है बुझते
दिए..
आज झकझोड़ता तेज़
तूफ़ान है..
नाव भवंरो कि बाहों में
मेहमान है..
पार पाने का कायम मगर
होंसला है..
देख तेवर तूफ़ान
का तेवरी
तन गई..
मौत से ठन गई...
जूझने का मेरा
कोई ईरादा
ना था..
मोड़ पर मिलेंगे
इसका वादा
ना था..
रास्ता रोक कर वो कड़ी
हो गई..
यूँ लगा ज़िन्दगी
से बड़ी
हो गई..
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