Main Musafir Hoon By RJ Vashishth
मैं मुसाफिर हूँ
अँधेरी यादो
का..
मैं मुसाफिर हूँ
कुछ टूटे
हुए वादों
का..
मैं मुसाफिर हूँ
कुछ अनकही
बातों का..
और मैं मुसाफिर
हूँ कुछ
अनसुनी फरियादों का..
पर इन सबके
परे मैं
मुसाफिर हूँ
मुस्कुरा के जी हुई
कुछ यादो
का..
मैं मुसाफिर हूँ
खुद ही से किये
हुए और जिए हुए
हर वादों
का..
मैं मुसाफिर हूँ
कड़वी ही सही पर कही हुई
बातों का..
और मैं मुसाफिर
हूँ फरी-
फरी आती
सुहानी यादो
का..
मैं मुसाफिर हूँ
और मुसाफिर
तो चलता
भला..
मैं जोगी हूँ
और जोगी
तो रमता
भला..
तो मैं जोगी हूँ रमता जोगी..
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