Jab Se Tum Gaye Ho by Mansi Soni

Jab Se Tum Gaye Ho by Mansi Soni


Jab Se Tum Gaye Ho by Mansi Soni

जबसे तुम गए हो,

जिंदा रहते हुए मुझे मौत का एहसास कुछ इस कदर हो रहा है…

मानो मौत मेरे साथ बैठी जिंदगी बिता रही हो…

हमारे इश्क की दास्तान लिखी हो जिस पर,

मैं तो वो किताब बनना चाहती थी

मगर जब से तुम गए हो मैं फकत उसका एक किस्सा बन कर रह गई हूं…

पूरी दुनिया साथ घुमाने के ख्वाब दिखाए थे ना तुमने

मगर जबसे तुम गए हो ख्वाब देखना तो दूर,

मुझे तो सोने से भी डर लगने लगा है…

अब अपने पसंदीदा गानों की प्लेलिस्ट मैं,

किसी भी अजनबी के साथ शेयर कर लेती हूं…

मगर वो गाने जो कभी तुमने और मैंने साथ बैठकर सुने थे…

उनकी जगह किसी प्लेलिस्ट में नहीं हैं

वो तो ताउम्र मेरे दिल-अो-दिमाग में कैद होकर रहेंगें…

और जब भी मैं उन्हें सुनती हूं तो वो मुझे उस समय में ले जाते हैं

जहां तुम्हारे और मेरे बीच ये और,

और ना ही कोई और था...

तुम्हें याद है, वो घड़ी जो तुमने मुझे तोहफे में दी थी…

उस घड़ी ने मुझे मेरी जिन्दगी के बहुत से हसीन पल दिखाए है…

मगर जबसे तुम गए हो,

वो घड़ी मुझे कुछ अजीब से वक्त दिखाने लगी है…

मैंने खुद को पहचानना बंद कर दिया है…

जबसे तुम गए हो, 

क्योंकि आईने में खड़ी वो लड़की,

जिसकी आँखों में अब तुम्हारा चेहरा नहीं दिखता…

जिसके होठों पर एक नकली सी मुस्कुराहट रहती है

वो लड़की जो तुम्हें बेवफाई की बाज़ी जिताकर खुद ज़िन्दगी से हार गई हो

वो लड़की मैं नहीं हो सकती, वो कोई और है…

तुम तो जानते ही थे मुझे अँधेरे से कितना खौफ आता था…

मगर जब से तुम गए हो,

मैं अपने कमरे के किसी भी कोने में रौशनी का आना पसंद नहीं करती….

मुझे डर रहता है कि अगर वो रौशनी तुम्हारी सिमटी हुई यादो पर जा गिरी,

तो मैं फिर से बिखर जाउंगी…

मुझे वो सब याद आने लगेगा,

जिसे मैं भुलाने की कोशिश में हूं…

जिंदगी से तो और भी रंजिशें रहने लगी है मुझे…

जबसे तुम गए हो,

मगर मेरी ये रंजिशें मेरे घाव,

मेरी बेज़ारी मैं किसी के सामने जाहिर नहीं करती,

बस अब लिख लेतीं हूं…

 


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