Guftugu by Pallavi Mahajan

Guftugu by Pallavi Mahajan


Guftugu by Pallavi Mahajan

 

दौड़ाती ये जिंदगी और दौड़ते हम तुम यहाँ…

जो गम नही बाँटा कभी नासूर वो बन जाये ना…

रख तस्सली, रुक जरा कुछ बातें तू कर ले…

इधर जरा बैठ कर, थोड़ी गुफ्तगू कर ले…

 

देखा था तुझको एक दिन,चेहरे पे रौनक खूब थी..

आज पर कुछ बात है,क्युं  दिख रहा तू खुश नही…

जो भी गुबार तेरे दिल मे है उसे दिल से दूर कर ले…

इधर जरा बैठ कर, थोड़ी गुफ्तगू कर ले…

 

तुझे जिंदगी से प्यार था,अब है नही..क्या हो गया?

खुद से गिला तू क्युं करे, कोई अगर ना मिल सका…

गल्ती नही तेरी सो खुद को माफ तू कर दे…

इधर जरा बैठ कर, थोड़ी गुफ्तगू कर ले…

 

कोई कहेगा ये यहाँ के भूल जा जो भी हुआ…

कोई सुनायेगा तुझे के वक्त लेगा फैसला…

सुन सभी की और फिर जो दिल कहे वो कर ले…

इधर जरा बैठ कर, थोड़ी गुफ्तगू कर ले…

 

हर कोई समझेगा तुझे मुमकिन नही ये जान ले…

भीड़ में कुछ है मगर तू गौर कर पहचान ले…

सबसे नही कुछ से भले, कुछ से नही, इक से मगर,

हर बात तू कर ले, जा उधर जरा बैठ कर थोड़ी गुफ्तगू कर ले…

रख तस्सली, रुक जरा कुछ बातें तू कर ले…

इधर जरा बैठ कर, थोड़ी गुफ्तगू कर ले…




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