Sab Kuch Waise Hi Chalta Hai By RJ Vashishth
सब कुछ
वैसे
ही
चलता
है..
जैसे चलता
था
जब
तुम
थी..
रात भी
वैसे
सर
मूंदे
आती
है..
दिन भी
वैसे
ही
आँखे
मलता
जागता
है..
तारे सारी
रात
जमाइयाँ
लेते
है..
सब कुछ वैसे ही तो चलता है..
जैसे चलता था जब तुम थी..
काश तुम्हारे
जाने
पर
कुछ
तो
फर्क
पड़ता
जीने
में..
प्यास ना
लगती
पानी
कि
या
नाख़ून
बढ़ना
बंद
हो
जाते..
बाल हवा
में
ना
उड़ते
या
धुआँ
निकलता
साँसों
से..
पर अफ़सोस सब कुछ वैसा ही चलता है..
जैसा चलता था जब तुम थी..
बस इतना
सा
फर्क
पड़ा
है
मेरी
रातो
में
कि
नींद
नहीं
आती..
तो अब
सोने
के
लिए
एक
नींद
कि
गोली
रोज़
निगलनी
पड़ती
है..
सब कुछ वैसा ही चलता है..
जैसा चलता था जब तुम थी...
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