Shayad Ise Kahi Dekha Hua Hai By RJ Vashishth

Shayad Ise Kahi Dekha Hua Hai By RJ Vashishth


Shayad Ise Kahi Dekha Hua Hai By RJ Vashishth

 

किसी Cafe के कोने में बैठा रहता, घंटो पेहरो बैठा रहता..

हाथ में किसी Famous से शायर की नज़्म को लेकर खेलता रहता..

शायद Intellectual हूँ ऐसा Show Off करता रहता..

काली सी जाडी सी प्रेम के चश्मे अभी- अभी कटवाए हुए गंजे से माथे पे सफ़ेद सी Hat..

और चेहरे पे मैं कुछ पढ़ रहा हूँ का गंभीर भाव..

अपने Latest iphone के Home Button को दबा के वो दिल के Home का हाल देखता, चुप हो जाता..

मायूस होके फिर से Intellectual हो जाता..

TV पे किसी Flop से Hero के साथ किसी खूबसूरत सी हसीना को Romance करते हुए..

लटके झटके मारते हुए देखता, हसता फिर से मायूस हो जाता और पढ़ने लगता..

उस Youngster के Group को वो देखता, Selfie के Retakes को गिनता, मुस्कुराता और फिर से पढ़ने का ढोंग करता..

उन सभी Youngsters में अपने चेहरे को ढूंढता, हसता Home Button को Press करके घर जाने का सोचता..

और तभी उसके मैं में ख्याल आता की अरे अभी तो सिर्फ 2 ही बजे है..

4 बजे तक का वक़्त है फिर घर जाते है और फिर सोने की ज़ेहमत करते है..

ऐसे ही ख्यालों में वो डूबा तपाक से बाहर आता है, उन्हीं आवाज़ों की चहल पहल से..

Table के बाजु में रखे कांच में देखता है खुद को और सोचता है कि इस बेखबर को पहले कहीं देखा हुआ है..

कुछ सालो पहले ऐसे ही किसी Cafe में बैठा था शायद अकेले ही था..

एक आद बार देखा था उसने मेरी तरफ फिर कुछ पढ़ने के लिए उसने अपनी आँखे Books में डाल दी थी..

आँखे भले ही वो किताब में थी पर नज़र मुझपे ही थी..

कुछ सालो पहले ऐसे ही बेखबर को देखा था तो मेरी नज़र फिर से उस बेखबर पे पड़ी..

उसने नज़र चुरा के पढ़ने का नाटक किया और वह से चला गया..

उसे कहीं देखा हुआ है, तभी उन Youngsters में से कोई उसे देखते हुए देख रहा था, उसका एहसास उसको हुआ..

वहाँ से वो उठा और अपने पुराने आप को देख के वहाँ से चला गया..

शायद उसे इसे कहीं देखा हुआ है, इसका जवाब मिल गया था..

किसी नए में अपने पुराने को देखा हुआ का जवाब मिल गया था..

इसे कहीं देखा हुआ है...

 



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