Tumse Milna Chahti Hoon By RJ Vashishth

Tumse Milna Chahti Hoon By RJ Vashishth


Tumse Milna Chahti Hoon By RJ Vashishth

 

मैं तुमसे मिलना चाहती हूँ..

ख़्वाबों से उठकर तुम्हे देखना चाहती हूँ..

हकीकत क्या है ये मैं सीखना चाहती हूँ..

मैं तुमसे मिलना चाहती हूँ..

 

हाथो में हाथ मुसलसल रखना चाहती हूँ..

चिंगारी चाहत की महसूस करना चाहती हूँ..

मैं तुमसे मिलना चाहती हूँ..

 

तुम्हारी आँखों को प्यार से चूमना चाहती हूँ..

अनगिनत यादो में घूमना चाहती हूँ..

मैं तुमसे मिलना चाहती हूँ..

 

मज़हब से दूर तुम्हारा नाम पाना चाहती हूँ..

इस बेज़ार दुनिया से परे जीना चाहती हूँ..

मैं तुमसे मिलना चाहती हूँ..

 

रोज़ शाम दीवानगी की वो नज़्म सुनना चाहती हूँ..

झूले पे बैठ के अकेले- अकेले मुस्कुराना चाहती हूँ..

मैं तुमसे मिलना चाहती हूँ..

 

तुमसे मिलने का हर कोई बहाना चाहती हूँ..

तुम क्या हो मेरे लिए ये बताना चाहती हूँ..

मैं तुमसे मिलना चाहती हूँ..

 

बहुत हुई ये अधूरेपन की ज़िन्दगी..

तुम्हे पाके अब खुद को पूरा करना चाहती हूँ..

मैं तुमसे मिलना चाहती हूँ..




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