Toota Dil By Nidhi Narwal
जिसके लिए अक्सर लोग तरस जाते हैं…
उम्मीद, उम्मीद मिलना बहुत आसान है…
मगर उम्मीद रखना शायद सबसे मुश्किल…
मेरा दिल जब पहली दफा टूटा था…
मुझे आज भी याद है मुझे ऐसा लगा था…
मानो मेंने अपना सब कुछ खो दिया हो…
कि मानो वो एक इंसान वो ख्वाब वो वक्त या वो एक लम्हा,
जो बेहद खूबसूरत था बेहद प्यारा था…
जो मुझे कभी ना वापिस आने के लिए छोड़ गया…
वही मेरा आखिरी था और मैं फख्त यही सोच कर बिखरी,
कि वही मेरा आखिरी था…
थोड़ा वक्त जरूर लगा मगर उम्मीद मिली मुझे,
सारी रात एक खिड़की के पास बैठकर,
अश्कों मे लिपटी शिकायतों का ढेर लगा दिया…
और सुबह होने पर आफताब की पहली झलक पर बस एक ख्याल आया…
कि अगर ये कमबख्त हर शाम ढ़लने के बाबजूद भी,
उतने ही उजाले उतने ही जुनून के साथ वापस लौट कर आ सकता है…
तो मैं क्यू नहीं…
जब तक मैं चाहती हूं कि मैं जिंदगी तक रहूंगी मैं रहूंगी…
क्युकी एक बात तो तय है…
की मौत तो किसी की नहीं आती,
मौत को हम बुलाते हैं…
जिसे जाना था वो तो जा चुका हैं…
माना कि उसके और मेरे दरम्यान कुछ फासले तय हो गए हैं…
मगर जिंदगी से उतनी ही नजदीकियां बरकरार है…
थोड़ा वक्त जरूर लगा मगर समझ आया मुझे,
कि पहले तो एक दिल धड़कता था…
मगर अब इस टूटे हुए दिल का एक एक टुकड़ा धड़कता हैं…
अगर तुम्हें हो भी तो अफसोस मत करना,
कि मैं बेकस रह गयी…
वो सीधा ही छोड़ गयी मुझे ,
क्युकी यकीन मानो,
यह तुम्हारे दिल तोड़ने का ही नतीज़ा है…
की मेरे टूटे हुए दिल की दरारे उम्मीदों से भरी हुई…
ये दरारे अब जर के जेसी चमकती है…
बेहद खूबसूरत लगता है…
पहले से ज्यादा कई ज्यादा,
तो तुम्हारा दिल से शुक्रिया है…
तुम दिल तोड़ गए…
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