Cigarette Pi Leta Hu Jab Teri Yaad Aati Hai By Sumit Bhardwaj

Cigarette Pi Leta Hu Jab Teri Yaad Aati Hai By Sumit Bhardwaj


Cigarette Pi Leta Hu Jab Teri Yaad Aati Hai By Sumit Bhardwaj

 

एक तो चाय गरम,

दूसरा तेरी आँखों में शर्म,

तीसरा तेरे होंठ नर्म,

मिले जो तीनों तो जाना..

लगता कैसा होगा त्रिवेणी संगम

 

सुनो, जो मैं और तुम अब हम नहीं है...

जो ज़िक्र पे तेरी होती मेरी आँखे नम नहीं है

तो सोचता हू कि मैं अपने दिल की सारी दरारे भर लू

तारीफ तो तेरी खूब लिखी थी अब जमाने से तेरी बुराई भी कर लू

वो झूमके खरीदे थे ना जो दिल्ली के मीना बाजार से

वो झूमके आज भी पड़े हैं मेरी अलमारी की दराज मे

कहने को तो झूमके पुराने हो गए हैं

पर इश्क भी कौन सा नया रह गया है हमारा

आखिरी दफा मेरे घर पर आकर तुम चाय पीकर गई थी ना जिस ग्लास से

वो आज भी गरम पड़े हैं तेरे होंठो के नर्म एहसास से

तेरे लगाए हुए पर्दे मेरी घर की खिड़कियों पर अब भी लटक रहे हैं

देख रही हो शिद्दत हमारी मोहब्बत की कहने को जुदा है हम

लेकिन ज़माने को अभी भी खटक रहे हैं हम

बना हुआ बिस्तर, बिगड़ा हुआ घर, खामोशी मे गुजरता मेरा हर पल

मेरी तन्हाई की चीख चीख कर गवाही देता है

तुम ये बताओ वो लडका कौन है जो इन दिनों तुम्हारे साथ रहता है

जो यार है तुम्हारा तो अलग बात है

पर जो प्यार है तुम्हारा तो ये तो बता दो उसमे क्या अलग बात है

क्या तेरी जिस्म के तिलों के अलावा वो तेरी रूह के ज़ख्मों को पहचानता है

तुझे बिस्तर के बायीं ओर नींद नहीं आती क्या वो ये भी जानता है

कौन किसको कितना और क्यू चाहता है ये भला कौन जानता है

पर तुम बस चौकस रहना ये ज़माना ना बहुत बुरा है

ये मोहब्बत के नाम पर जिस्म मांगता है…

और तुम घबराओ मत तुम्हारी बुराई ना तब की थी और ना अब करेंगे

इश्क सच्चा था हमारा उसे यू महफिलों मे बदनाम थोडे ही करेंगे

 

सिगरेट पी लेता हू जब कभी तेरी याद आती है

तो कश भरते ही अपनी औकात याद जाती है

सिगरेट जितनी ही थी तो कीमत मेरी

तूने होंठो से भी लगाया, धुए मे भी उड़ाया

और जलाने से पहले दांतों तले भी दबाया

हम कमबख्त समझ बैठे इश्क है

तेरी तलब से ज्यादा कुछ नहीं ये तो तब समझ आया

जब तूने पैरों तले दबाया

तेरी तलब तो चल अब दूसरी सिगरेट मिटा देगी

मेरी तलब का क्या मुझे ये सिगरेट कैसे सुकून देगी…

शराब पीते हैं जाम मे तुम नज़र आती हो

जिस रास्ते चलते है उसके अंजाम मे तुम नज़र आती हो

जब तक सिगरेट चलती है दिल बेहलता है

सिगरेट के चलते ही दिल को तुम याद जाती हो

 

सोच तो कितना बवाल होगा

जो एक ही मोहल्ले मे तेरा मेरा ससुराल होगा

 

 


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