Betiyan by Lovely Sharma
रीत ले आओ बेटियां कोख में मारने की,
ज़िंदा बच भी गयी तो जिंदगी नहीं मिलेगी…
बहुत सारी कैंडल मार्च, ट्रेंडिंग हैशटैग्स और अखबार की मोटी मोटी सुर्खियां,
RAPE
हवस में लिपटकर उसदिन हैवानियत आई थी…
आज फिर मिटेगी एक प्यास, ये बात मुझे समझने आई थी…
कुत्ता जैसे हड्डी को, चील चबाये मांस को,
कुछ यूँ मेरे जिस्म को रौंदा गया…
एक ने नोचा, एक ने दबोचा, जांघो के बीच से रूह को खंगाला गया…
ना मर्यादा का राम बचा ना संस्कारो का रावण…
ना कान्हा आयो, चीयर बढ़ायो, ना तांडव हुआ उस आँगन…
न ही चंडी ना ही जवाला ना ही आदिभवानी आयी…
झाँक के देखा अंदर में तो, हर घर में थी निर्भया समायी…
चीख सुनी ना दीवारों ने, ना नमाज़ें मेरे कोई काम आयी…
सती हुई मैं घर चौखट पर, मंदिर में भी थी मुझे मौत आयी…
धंधा तो जिस्म का चलता है फिर क्यों ये पीड़ खुदा ने दिलाई…
कोई बाप बनकर लूट गया, कभी इश्क़ ने फरेब की सेज सजाई…
लेख अगर है किस्मत का तो किसने थी ये तकदीर बनायीं…
खिलौने सी ये ज़िन्दगी औरत की लकीर बनायीं…
सालो साल मुकदमा और झूठ की पेशी हो होगी…
हर हाथ में होगा मोम का दिया और सिर्फ कागजो में फांसी होगी…
मेरे लाख चिल्लाने पर भी आसुओ की अनदेखी होगी…
रीत ले आओ बेटियां कोख में मारने की…
ज़िंदा बच भी गयी तो जिंदगी नहीं मिलेगी…
एक घर में प्रियंका, एक घर में आशिफ़ा, एक घर में निर्भया मिलेगी…
रीत ले आओ बेटियां कोख में मारने की…
ज़िंदा बच भी गयी तो जिंदगी नहीं मिलेगी…
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