Batwara (Rishton Ka The End) By Vihaan Goyal

Batwara (Rishton Ka The End) By Vihaan Goyal


Batwara (Rishton Ka The End) By Vihaan Goyal

 

इसी में भलाई है कि अब अलग अलग गुज़ारा कर लिया जाये..

ये रोज़-रोज़ का झगड़ा ठीक नहीं भाई, चल बंटवारा कर लिया जाये..

 

कुछ खफ़ा हो तुम मुझसे, कुछ हम भी भरे बैठे है..

तो क्यों ना इस तकलीफ से किनारा कर लिया जाये..

ये रोज़- रोज़ का झगड़ा ठीक नहीं भाई, चल बंटवारा कर लिया जाये...

 

घर, दुकान, ज़मीन, गहने सब का पाई- पाई बांटो..

जो हमारा था अब उसे मेरा और तुम्हारा कर लिया जाये..

ये रोज़- रोज़ का झगड़ा ठीक नहीं भाई, चल बंटवारा कर लिया जाये...

 

माँ बाप का क्या है, माँ बाप को भेजो गांव वो शहर में रहकर क्या करेंगे..

फिर अपने बीवी बच्चो के साथ जश्न--बहारा कर लिया जाये..

ये रोज़- रोज़ का झगड़ा ठीक नहीं भाई, चल बंटवारा कर लिया जाये...

 

बरसो पहले जो बाबा और चाचा के बीच हुआ,

उसी रीत का पालन दुबारा कर लिया जाये..

ये रोज़- रोज़ का झगड़ा ठीक नहीं भाई, चल बंटवारा कर लिया जाये...




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