Mere Jism Ka Tukda Unki Bhookh Mitayega by Lovely Sharma

Mere Jism Ka Tukda Unki Bhookh Mitayega by Lovely Sharma


Mere Jism Ka Tukda Unki Bhookh Mitayega by Lovely Sharma

 

Reet Le Aao Wapas Betiyaan Kokh Me Maarne Ki…

Zinda Bach Bhi Gayi To Zindagi Kaha Milegi…

 

रीत ले आओ वापस बेटियां कोख में मारने की…

ज़िंदा बच भी गयी तो जिंदगी कहाँ मिलेगी…

रेप, लाखों चीखें, सिसकियाँ, करवटें, हवस,

छोटा सा वर्ड एक ज़िन्दगी ले जाता है…

कुत्ता जैसे हड्डी को, चील चबाये मांस को,

कुछ यूँ मेरी जिस्म को रौंदा गया…

एक ने नोचा एक ने दबोचा,

जानवरो के बीच से रूह को खंगाला गया…

हवस में लिपटकर उस दिन हैवानियत आई थी…

फिर मिटेगी कोई प्यास ये बात मौत समझने आयी थी…

धंधा तो जिस्म का चलता है,

फिर क्यों ये पीड़ खुदा ने दिलाई थी…

कभी कोई बाप बनकर लूट गया,

कभी इश्क़ ने फरेब की सेज सजाई थी…

ना मर्यादा का राम बचा, ना संस्कारो का रावण…

ना कान्हा आयो, चीर बढ़ायो, ना तांडव हुआ उस आँगन…

ना ही चंडी, ना ही जवाला, ना ही आदि भवानी आयी…

झांक के देखा भीतर तो हर घर में थी निर्भया समायी…

लेख अगर है किस्मत का तो किसने थी ये किस्मत बनायीं…

चीखें सुनी ना दीवारों ने, ना नमाज़ें मेरे कोई काम आयी…

सती हुई मैं घर चौखट पर, मंदिर में भी थी मुझे मौत आयी…

हर हाथ में था मोम का दिया तो फिर किसकी सोच को फौत आयी…

ना डायपर, ना साडी, ना सूट का कसूर था…

मर्द है साहब, ईमान के आगे मजबूर था…

मेरे जिस्म का टुकड़ा उनकी भूख मिटाएगा…

मर्द आँखों से भी नोच खायेगा…

सालो साल मुकदमा और फिर झूठ की पेशी होगी…

हक़ीक़त तो महज़ एक खवाब है, यहाँ कागजो में फांसी होगी…

रीत ले आओ वापस बेटियां कोख में मारने की…

ज़िंदा बच भी गयी तो जिंदगी कहाँ मिलेगी…

 



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