Kuch Kash Adhure Hai Mere by Lovely Sharma

Kuch Kash Adhure Hai Mere by Lovely Sharma


Kuch Kash Adhure Hai Mere by Lovely Sharma

 

बेरंग गयी है होली इस बरस की,

दिवाली पे दिए जलाने जाना…

रश्में अधूरी तुम बिन सारी करवाचौथ की,

रमज़ान का चाँद दिखाने जाना…

कुछ काश अधूरे है मेरे, उन्हें पूरा करने जाना….

 

ज़ख्म नहीं भरते अब किसी मरहम से,

कोई अच्छी दवा दिला जाना…

रोती रहती है माँ बस,

बस उनसे ही मिलने जाना…

कुछ काश अधूरे है मेरे, उन्हें पूरा करने जाना….

 

ढूंढ रही थी बहन तुम्हे,

राखी का हाथ बढ़ा जाना…

कोख में है जो अमानत मेरे,

उसे अपनी गोद में झूला जाना…

कुछ काश अधूरे है मेरे, उन्हें पूरा करने जाना….

 

उजड़ गयी जो दुनिया मेरी,

उसे फिर से नया बना जाना…

खो गयी है मुस्कान कहीं,

उसको तुम लौटा जाना…

कुछ काश अधूरे है मेरे, उन्हें पूरा करने जाना….

 

डर लगता है स्याह रातों में मुझे,

सीने से मुझे लगा जाना…

बिना बात की बात करते है लोग,

उन्हें मेरा हाल समझा जाना…

कुछ काश अधूरे है मेरे, उन्हें पूरा करने जाना….

 

मालूम है मुझे, तेरा लौटना अब मुमकिन नहीं

मुझको तू झूठा बना जाना…

कुछ काश अधूरे है मेरे, उन्हें पूरा करने जाना….

 

नींद जाए जो इस बार मुझे,

कोई ऐसी लोरी सुना जाना…

खाने को आती है ये दीवारे सारी,

तस्वीरों से फूल हटा जाना…

कुछ काश अधूरे है मेरे, उन्हें पूरा करने जाना….

 

बिखर गयी है स्याही कहीं,

एक आखिरी ग़ज़ल सुना जाना…

थक गयी है दीद इंतज़ार में तेरे,

आने का वक़्त बता जाना….

कुछ काश अधूरे है मेरे, उन्हें पूरा करने जाना….

 



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