Purani Tasveere By RJ Vashishth

Purani Tasveere By RJ Vashishth

Purani Tasveere By RJ Vashishth

 

पुरानी तस्वीर को देख आज कुछ यूँ लगा..

वक़्त कितना सरल था ये Realization मन में जगा..

पुरानी तस्वीर को देख आज कुछ यूँ लगा..

अनचाहे चेहरों को देख के मन ज़रा सा तो डगा..

पर पुराने से, चोमू से खुद को देख के मन को हसी से ठगा..

हसी भी छूटी और यादो की पुहार भी..

जैसे खोल दिया पसंदीदा Candy का Jar ही..

हर एक रंग के Rapper है और अलग- अलग स्वाद भी..

बाहर से अच्छा पर अंदर से खराब..

बाहर से सादा और अंदर से स्वादिष्ट..

ऐसे आज़माइश के खेल खेलु आज भी..

एक एक करते- करते कुछ यूँ पन्ने पलटने लगा..

जैसे खुद ही को देखते- देखते खुद ही को वापस जीने लगा..

जीना चाहूंगा और ऐसे ही जीता रहूँगा, जब- जब मैं मरने लगा..

क्यूंकि वक़्त पहले कितना सरल था ये Realization आज मन में जगा..

पुरानी तस्वीरो को देख आज कुछ यूँ लगा...

 



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