Mujhe Jeena Hai By RJ Vashishth
मुझे जीना है, हाँ मुझे
जीना है..
और सिर्फ
जीना नहीं
है, जीतना
है खुद
को खुद
से..
हाँ मुझे जीना है..
हवा- हवा में
दौड़ते- दौड़ते
कही गिर
पड़े है..
तो क्या थोड़ा
सा वक़्त
ज़ख्म पे मरहम है..
हाँ मुझे जीना है..
हसाते- हसाते किसी
ने करारा
चाटा मार
दिया है..
तो क्या तुम्हारी ज़िंदा
मुस्कान उनके
ज़हन पे एक चाटा
है करारा..
हाँ मुझे जीना है..
काली अँधेरी रात
है तो क्या..
कही बात आज भी अनसुनी
है तो क्या..
उनकी नज़र में
तुम्हारा वजूद
नहीं तो क्या..
और हो गए खुद ही से जुदा
तो क्या..
वो रात बीतेगी
और नयी
सुबह आएगी..
थोड़ा सा रुक
जाओ, अनकही
बात सही
कान पायेगी..
खुद का वजूद,
खुद ही की आँखों
में होता
है..
और अगर ढूंढने
जाओ तो खोया हुआ
खुदा भी मिल जाता
है..
हां मुझे जीना है..
और सिर्फ जीना
नहीं है, जीतना है खुद को खुद से..
हाँ मुझे जीना है...
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