Bechari Nahi Hu Main By RJ Vashishth
गिरी हूँ मगर
हारी नहीं
हूँ मैं..
दुखी हूँ मगर
बेचारी नहीं
हूँ मैं..
गिर- गिर कर संभालना आता
है मुझको..
अपने हालातों से लड़ना आता
है मुझको..
हाँ ये सच है कि थोड़ी डरी
हूँ मैं..
पर ज़िंदा हूँ,
मरी नहीं
हूँ मैं..
तुफानो से भी लड़ना आता
है मुझको..
बुझी हुई उम्मीदों को जलना आता
है मुझको..
हाँ अभी अँधेरा
है, कल सवेरा होगा..
आज तेरा है, कल मेरा
होगा..
रूठे हुए सपनो
को मनाना
आता है मुझको..
हारे हुए हौसलों
को भी जीतना आता
है मुझको..
मरके भी वापस
जीना आता
है मुझको..
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