Nepotism Ki Rassi Ne Aaj Phir Ek Talent Ko Latka Diya by Goonj Chand
घुटन में थी एक ज़िन्दगी,
अंधेरो में खो गया था रास्ता…
जब ज़रूरत थी उसे दोस्तों की,
तो किसी ने नहीं रखा कोई वास्ता…
सारे दरवाज़े बंद देख,
उसे समझ न आया वो कहा जाये…
वो कहता रह गया हम सुन्न न पाए…
नेपोटिस्म की रस्सी ने आज फिर एक टैलेंट को लटका दिया…
और बॉलीवुड के इन ठेकेदारों ने उसे मंज़िल से भटका दिया…
उन्हें डर था शायद के ये टैलेंट,
उनके नेपोटिस्म को पीछे न छोड़ जाये…
वो कहता रह गया हम सुन्न न पाए…
सही कहती है कंगना,
ये हत्या है आत्म-हत्या नहीं…
और कल भी वो बोली थी,
आज फिर से है वो बोल रही…
है वक़्त अभी भी सोचो सब के,
कल फिर से कोई शुशांत शांत न हो जाये…
वो कहता रह गया हम सुन्न न पाए…
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