Kya Shadi Ke Baad Yaad Nahin Aati by Kanha Kamboj

Kya Shadi Ke Baad Yaad Nahin Aati by Kanha Kamboj


Kya Shadi Ke Baad Yaad Nahin Aati by Kanha Kamboj

 

Wo Mujhe Bhoolne Ki Koshish Baar Baar Kar Rahi Hogi

Meri Hichkiyon se Lagta Hai Wo Mujhe Yaad Kar Rahi Hogi

 

वो मुझे भूलने की कोशिश बार बार कर रही होगी….

मेरी हिचकियों से लगता है वो मुझे याद कर रही होगी…

 

वो मुझे प्यार करे या ना करे इस सोच की ऊंच नीच में….

मिल गया होगा कोई पुराना खत किताब के बीच में…

फिर पढ़ उस खत को सरहाने रखा मेरा गुलदस्ता महक गया होगा…

आज फिर देख ली होगी मेरी तस्वीरें मन बहक गया होगा…

आज फिर मेरे कंधे पे सर रख वो सोने की आस कर रही होगी…

मेरी हिचकियों से लगता है वो मुझे याद कर रही होगी….

 

की आज फिर वो घर में अकेली हो गयी होगी…

या फिर उसकी मम्मी आज फिर जल्दी सो गयी होगी…

वो मेरे फ़ोन का इंतज़ार कर रही होगी…

वो मेरा लास्ट सीन चेक बार बार कर रही होगी…

मेरी दी हुई पायल का शोर आज उसे परेशान कर रहा होगा…

उसके ज़ज़्बातों से लिखा खत आज उसे ही बेज़ुबान कर रहा होगा…

की अपने आप को लाचार वो साबित बार बार कर रही होगी…

मेरी हिचकियों से लगता है वो मुझे याद कर रही होगी…

 

की वो किसी और को मेरे बारे में बता रही होगी…

किसी और के मन में मेरे लिए नफरत जगा रही होगी…

मुझे बदनाम करने की कोशिश वो तमाम कर रही होगी…

कई झूठे वो मुझपर इल्ज़ाम कर रही होगी…

और जो तकरारे हुई थी कभी हमारी बंद कमरे में,

आज उन्हें वो सरेआम कर रही होगी…

मेरी हिचकियों से लगता है वो मुझे याद कर रही होगी…

 

की मेरी तस्वीरों को जलाकर राख कर रही होगी…

भूलकर मुझे एक नई शुरुआत कर रही होगी…

शायद वो आज मेरा हिसाब कर रही होगी…

मेरी हिचकियों से लगता है वो मुझे याद कर रही होगी…

 

की अब किसी और के साथ वो अपने सपने सजा रही होगी….

अब कोई और होगा जिसे वो अपना बता रही होगी…

आज फिर वो बारिश हुई होगी…

फिर परदे लगा माथा चूमने की गुजारिश हुई होगी…

उसके हाथ को वो मेरा हाथ समझ बैठी होगी…

उसके छूने को मेरे जज्बात समझ बैठी होगी…

मेरे होने के एहसास को उसने अपने ज़ेहन में उतार लिया होगा…

गलती से उसे मेरे नाम से पुकार लिया होगा…

की मेरे यादों के परिंदे को अब वो आज़ाद कर रही होगी…

मेरी हिचकियों से लगता है वो मुझे याद कर रही होगी…

 

बेवफाई की सारी हदें वो पार कर चुकी होगी…

अपने बदन की आबरू को वो तार तार कर चुकी होगी…

मेरे अलावा किसी और के साथ हमबिस्तर होकर वो ये कमाल कर रही होगी…

और ये किसकी ऊँगली है तेरे जिस्म पर,

उसके बिस्तर की चादर भी उससे सवाल कर रही होगी…

मेरी हिचकियों से लगता है वो मुझे याद कर रही होगी…

 

उसके जज्बात मेरी हिचकियों से ये कहने लगे है…

की अभी वक़्त लगेगा तुम्हारी याद आने में,

आजकल वो सुर्ख़ियों में रहने लगे है…

 



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