Jis Soch Ne Aaj Barbaad Kiya Us Soch Ko Aaj Badalte Hai by Pallavi Mahajan

Jis Soch Ne Aaj Barbaad Kiya Us Soch Ko Aaj Badalte Hai by Pallavi Mahajan


Jis Soch Ne Aaj Barbaad Kiya Us Soch Ko Aaj Badalte Hai by Pallavi Mahajan

 

बात करेंगे बात बनेगी वरना कैसे बात चलेगी…

आओ बेठो तुम्हे बता दुं, इक बच्ची से तुम्हे मिला दूं…

सपने उसने देखे थे जो, आओ थोड़े तुम्हे दिखा दूं…

सपनो की उस दुनिया में, ना राजा था ना रानी थी…

उसको खुद बनना था कुछ ये बच्ची बड़ी सयानी थी…

हाँ उम्र मे छोटी थी काफी, पर इतना कुछ कर सकती थी…

गर सपने उसके सच होते, तो अफसरनी बन सकती थी…

लेकिन वो सपना टूट गया उसने सोचा क्युं खून बहा?

क्लास मे हर एक हँसने लगा, वो घर आयी और माँ से कहा…

माँ अब क्या होगा बोलो ना, मासी जैसे मर जाऊँगी…

या छुटकी, रानी, दीदी जैसे स्कूल नही जा पाऊँगी…

माँ चुप थी उसको क्या कहती, माँ ने ये खुद ना जाना था…

जिस इंफेक्शन से बहन मरी, उसे तंतर मंतर माना था…

मायूस थी वो जब बाबा ने वही फरमान सुनाया था…

अब स्कूल नही जा पायेगी, लच्छो को रोना आया था…

लच्छो के बर्तन अलग किये, वो बाहर ना जा पाती थी…

वो हफ्ता जब भी आता था, वो रोती थी घबराती थी…

सपने सारे वो भूल गयी बस दर्द को सहती जाती थी…

क्युं होता लड़को साथ ना ये लड़की बन कर पछताती थी…

कपड़ो पर कपड़े धोती थी और सबसे छिपाये जाती थी…

अब अगले महीने खत्म हो ये, सपना बस यही सजाती थी…

खत्म कहाँ होना था ये, उसके होने का हिस्सा था…

तुम समझोगे क्या लच्छो को? या एक महज ये किस्सा था…

ऐसी कितनी लच्छो उन गाँवो मे पलती जाती है…

क्युं होता है? क्या होता है? कुछ भी ना समझ वो पाती है…

उन सात दिनो का क्या मतलब? क्यों बात ना ये की जाती है?

जिस चीज से हम तुम जन्मे है, वो गंदी क्यो हो जाती है?

उस काले पैकेट का और मेरा कितना लंबा रिशता है…

बड़ी हुई तो ये जाना कि सोच हमारी खस्ता है…

कितनी लच्छो उन गाँवो मे है जिनके सारे सपने टूटे?

कितने मुझसे इस शहर मे है? जो पढ लिख कर भी चुप ही रहे…

कभी झिझक ने चुप रखा,कभी कहने मे शर्माते थे…

है सबके साथ यही होता, ये सोच के दिल बहलाते थे…

लेकिन युं रहना बहुत हुआ, चुप रहकर सहना बहुत हुआ…

उस काली पन्नी को छोड़ो, तुमसे बोला ना बहुत हुआ…

आओ अब हिम्मत करते है और खुलकर कहते सुनते है…

जिस सोच ने सब बर्बाद किया,उस सोच को आज बदलते है…

तेरे मेरे कहने से शायद बात वहाँ तक जायेगी…

लच्छो की माँ गर सुन लेगी,शायद लच्छो बच जायेगी…




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