Bharat Ek Saath Hai by Sonu Sood
माना की घनी रात है…इस रात से लड़ने के लिए,
पूरा भारत एक साथ है…
तेरी कोशिश मेरी कोशिश रंग लाएगी…
मौत के इस मैदान में,
ज़िन्दगी जीत जाएगी…
फिर उसी भीड़ का हिस्सा होंगे,
बस सिर्फ कुछ ही दिनों की बात है…
माना की घनी रात है…
मगर पूरा भारत एक साथ है…
इन ऊँची ऊँची इमारतों की,
छोटी छोटी खिडकियों में सपने बड़े हैं…
फिलहाल संभल जान बचा,
सड़कों पर तेरे मेरे रखवाले खड़े हैं…
फिर खुशियों का मौसम आएगा,
पक्का अपना विश्वास है…
माना की घनी रात है…
इस रात से लड़ने के लिए,
पूरा भारत एक साथ है…
माना की घनी रात है…
कोई मौत से लड़कर ज़िन्दगी बचा रहा है…
कोई कचरा उठाकर भी ताली बजा रहा है….
कोई खुद की परवाह किये बिना,
अपना फ़र्ज़ निभा रहा है…
इंसानियत है सबसे पहले,
ना कोई धर्म ना जात है…
माना की घनी रात है…
मगर आज पूरा भारत एक साथ है…
जिसने तेरा घर संवारा,
आज वो खुद बेघर है…
चल पड़ा है सड़क नापने,
चेहरे पे शिकन मन में डर है…
आओ खोल दें अपने घर के दरवाज़े,
कहें कुछ दिन बस येही तेरा घर है…
माना की काली घनी रात है…
मगर पूरा भारत एक साथ है…
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