Asli Mard By RJ Vashishth

Asli Mard By RJ Vashishth


Asli Mard By RJ Vashishth

 

दिलो में तुम अपनी बेताबियाँ दबा के चल रहे हो तो मर्द हो तुम..

आँखों में कचरा चला गया है का बहाना लेके आंसू रोक लेते हो तो मर्द हो तुम..

लड़की है क्या? लड़कियों जैसे नहीं रट ऐसे पाठ सीखो तुम..

अगर रो लो तो नामर्द पर रुलाओ तो मर्द जैसी बात सीखो तुम..

हर एक लम्हे से तुम मिलो बंद करके Emotions कि राहें..

मर्दानगी का वास्ता है मत गिराना एक भी कतरा From Your निगाहें..

जो अपनी आँखों में हैरानियाँ लेके अंदर ही अंदर हैरान रहता है तो मर्द हो तुम..

दिलो में तुम अपनी बेताबियाँ दबा के खुद को मार के ज़िंदा रहते हो तो मर्द हो तुम..




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