Ye Zindagi Ravivar Ka Din Ho Gayi by Pooja Sonawane
देखो, देखो हमारे बेख़ौफ़ उड़ने की पतंग आज कट गयी…
और तमन्ना हमारी ही थी ना, सबकुछ छोड़छाड़ सुकून से घर पे रहने की,
वो तमन्ना अब पूरी हो गयी, वो हर रोज़ की छुट्टी अब हमे मिल गयी…
ये ज़िन्दगी रविवार का दिन हो गयी…
अब तो बस सुबह शाम पूरी शिद्दत से PUB G खेलना है…
नेटफ्लिक्स पे दिन रात चिल करना है…
बेड पर आराम से आराम करने की मुराद हमारी पूरी हो गयी…
और दो वक़्त के खाने के साथ माँ की वो डाँट फ्री में मिल गयी…
ये ज़िन्दगी रविवार का दिन हो गयी…
ना ही अब वो टपरी वाली चाय है…
ना ही कहीं गोल गप्पे की दूकान है…
अब ना ही वो कैफ़े की मस्ती है…
और ना ही लॉन्ग ड्राइव में किसी की टिकट कटती है…
अब मीटिंग को छोड़ चैटिंग में सबकी नजर लग गयी…
और ऑनलाइन ही तो चल रही थी ये दुनिया,
फिर से वही पे आके रुक गयी…
ये ज़िन्दगी रविवार का दिन हो गयी…
गरीब की पगार अब तो ना ही के बराबर हो गयी…
और हमेशा की तरह अमीरों के घर में फिर से दिवाली हो गयी…
किसी के घर में खुशियों की सौगात तो किसी के घर में खाने को रोटी भी ख़ाक हो गयी…
ये ज़िन्दगी रविवार का दिन हो गयी…
परिंदो की तरह ये ज़िन्दगी भी अब किसी पिंजरे में कैद हो गयी…
बाहर निकलना है पर मजबूरी रास्ते में आ गयी…
और दिन गिन गिन के कट रहा है अभी,
ना जाने इस दिन को किसी की नजर लग गयी…
ये ज़िन्दगी रविवार का दिन हो गयी…
Comments
Post a Comment
Thank You for Your Comment