Na Maujudgi Teri by Nidhi Narwal
तुम तन्हाईयाँ बख्शोगे, मुझे वो भी मंजूर है,
बस कह देना दिल से दी है…
चलो धोखा ही था तुम्हारा इश्क़, सब झूठ था,
तो झूठ अपनी जुबां को कहने देते…
मैं खुश थी, मुझे धोखे में ही रहने देते…
खाली नहीं है ना मौजूदगी तेरी, ये भरी हुई है तेरी हर याद से…
तुझसे कही थी जो मैंने, हर उस बात से…
जाना भरी हुई है ना मौजूदगी तेरी, किनारो तक तेरे एहसास से…
तन्हाई कहाँ है ये कोई, तेरा ख्याल जो दिलों दिमाग पर है…
मैं अकेली हूँ तनहा नहीं, तेरी यादों का हाथ मेरे हाथ पर है…
बातें भी करती है आँखे, अश्कों के जरिये हर टूटे ख्वाब से…
जाना भरी हुई है ना मौजूदगी तेरी, किनारो तक तेरे एहसास से…
मेरी जुल्फें नाराज है कि तू कहाँ है…
मेरी खुशियां उदास है कि तू कहाँ है…
अरसा हुआ चाँद खिला नहीं है मेरे आसमान में,
तारों की आवाज है कि तू कहाँ है…
मांगती है खबर तेरी, मेरी हालत हर इंसान से…
जाना भरी हुई है ना मौजूदगी तेरी, किनारो तक तेरे एहसास से…
तू नहीं था तो पन्नो में सफर करने गयी…
पन्नो के बीच रखा था, तूने दिया था,
उस गुलाब पे नजर ठहर गयी…
अब ना कोई महक है, ना है कोई नूर इस कम्बख्त में…
यूँ तो इस सूखे गुलाब सा ही है बेजान मेरा दिल,
एक बस तेरे नाम का है गुरुर इस कम्बख्त में…
जिन्दा है सब खोकर भी, ये गुलाब ये दिल जाने किस आस से…
जाना भरी हुई है ना मौजूदगी तेरी, किनारो तक तेरे एहसास से…
इस कमरे का ये जो कोना है,
याद है मुझे कि जब तू यहाँ करीब मेरे आया था…
मेरी उँगलियों से अपनी उँगलियाँ उलझाकर,
तू मेरी तरफ देख मुस्कुराया था…
होले से मुझे अपनी तरफ कर,
तू लबों को कानो तक लाया था…
तू चली गयी तो रह नहीं पाउँगा,
ये कहकर तूने मुझे सीने से लगाया था…
अब जो तू नहीं है तो गूंजता है ये कोना भी जाना तेरी उस आवाज से…
जाना भरी हुई है ना मौजूदगी तेरी, किनारो तक तेरे एहसास से…
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