Mujhe Fark Padta Hai By Pooja Sonawane
की
पता
है
तू
ज़िद्दी
है
लड़की,
मगर
वो
तुझसे
शाडा
है..
कुछ
ना
कुछ
जुगाड़
करके
उसने
तुझे
अपना
बनाना
है..
हर
तरफ
खाई
है
उसके
चक्कर
में,
तू
उसके
बहकावे
में
आने
का
नहीं..
वो
बुलाता
है
मगर
जाने
का
नहीं..
खबरें
आ
रही
है
आजकल
तुम्हारे
अच्छे
दिनों
की..
पर
मालूम
है
मुझे
मेरे
बगैर
तुम
मुस्कुरा
तो
सकते
हो..
पर
खुश
नहीं
रह
सकते..
ख़ुशनसीब
तो
था
वो
कि
मैं
कभी
उसकी
चाहत
हुआ
करती
थी...
पर
उसकी
बदनसीबी
देखिये
जनाब,
हीरे
को
परखने
कि
उसकी
औकात
नहीं
थी...
मुझे
ढंग
से
रहने
को
कहकर
जब
तू
खुद
बेढंग
हो
जाता
है..
मेरा
दुपट्टा
मुझे
संवारने
को
कहकर,
जब
तू
किसी
और
को
Six Packs दिखाने
में
Busy हो
जाता
है..
तो
हां मुझे फर्क पड़ता है..
बस
यूँही
नहीं
रूठती
मैं
तुझसे,
मेरे
अंदर
के
जज़्बातो
का
भी
कोई
मोल
होता
है..
मुझे
लड़को
से
दूर
रहने
को
कहकर
जब
तू
लड़कियों
से
हसकर
बतियाता
है..
तो
हां मुझे फर्क पड़ता है..
मोहब्बत
कि
है
मैंने
तुझसे
कोई
मज़ाक
नहीं..
ये
जानने
के
बावजूद
भी
अगर
तू
मेरी
मोहब्बत
पर
शक
करता
है..
तो
हां मुझे फर्क पड़ता है..
आजकल
Online भी
तो
सिर्फ
तेरे
लिए
आती
हूँ..
Insta
और
FB का
Password भी
तो
मैं
तुझे
सौंप
देती
हूँ..
तूने
कही
हुई
हर
बात
तो
मैं
हसकर
मान
लेती
हूँ..
पर
बारी
जब
मेरी
आती
है
तुझे
कुछ
पूछने
कि
या
तुझे
कुछ
बताने
कि,
तो
जवाब
में
जब
तू
मुझे
भरोसे
का
मतलब
समझाता
है..
तो
हां मुझे फर्क पड़ता है..
दुनिया
कि
परवाह
ना
कर
जब
मैं
तुझे
वक़्त
देती
हूँ..
और
मेरी
परवाह
ना
कर
जब
तू
वो
वक़्त
किसी
और
पे
बर्बाद
करता
है..
तो
हां मुझे फर्क पड़ता है..
मेरे
भी
कुछ
हक़
हो
सकते
है
तुझ
पर
जो
तू
पहचानने
से
इंकार
करता
है..
और
तेरी
मोहब्बत
का
हक़
बेवक़्त,
बेवजह
बस
मुझ
पर
थोपता
रहता
है..
मुझे
हद
में
रहने
को
कहकर
जब
तू
खुद
सारी
हदे
पार
करता
है..
तो
हां मुझे फर्क पड़ता है..
तेरी
ये
सारी
खामियां
जानने
का
बावजूद
भी
मेरा
दिल
तुझे
खोने
से
डरता
है..
क्यूंकि
जाना
मुझे
फर्क
पड़ता
है..
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