Koi To Ho by Nidhi Narwal

Koi To Ho by Nidhi Narwal

Koi To Ho by Nidhi Narwal

कोई तो हो जो सुने तो सुने बस मेरी निगाह को,
क्योंकि जुबान पर अक्सर ताले,
और नज़रों में बहुत सारी कहानियाँ रखती हूँ मैं..
वो मुझसे बात करने आये और कहें,
कि मुझसे नज़रें मिलाओ..
फिर हो यूँ की वो कहें,
कि कुछ कहना चाहती हो?
जो नहीं कहना चाहती हो वो तो मैंने सुन लिया…

दिल तो हर जगह से टूटा हुआ है मेरा,
दिल के हर कोने, हर दीवार में छेद है,
मगर कोई तो हो जो झांक कर अंदर आने में दिलचस्पी रखें…
झांक कर भागने में नहीं…
दिल तो ढेर हो चुका एक घर है,
जो मरम्मत नहीं मांगता, बस सोहबत मांगता है..
उस शख्स की जो कि इसकी टूटी हुई दीवारों के अन्दर कर,
इसे जोर जोर से ये बताए कि इसकी बची कुची दीवारे मैली है…
जो रंगी जा सकती है…
कुछ तस्वीरें टंगी है अब भी पुरानी..
जो फेंकी जा सकती है…

हाँ वैसे काफी नुकसान हुआ है दर--दीवार के टूटने से,
मगर इसकी बुनियाद अब भी सलामत है…
कोई तो हो कि जो देखें तो देखें बस मुझको,
कहें मुझसे कि ये मुस्कराहट ना खूबसूरत तो है,
मगर ख़ास नहीं…
ख़ास है ये ज़ख्म जो तुमने कमाये है पहने नहीं,
कहें मुझसे कि ये ख़ुशी मेरी है मैं नहीं..
कहें मुझसे कि जो मैं दिखती हूँ ना वो मैं हूँ नहीं..
कहें मुझसे कि मैं अपनी नज़्मों को,
अपनी ज़हन के आगे का पर्दा बना कर रखती हूँ..
पर्दा जिसके आर पार दिखता है…

कहें मुझसे कि मेरी मुस्कुराहटें बस मेरी नाकाम कोशिशें है..
अपने जज़्बात पे लगाम लगाने के लिए,
कहें मुझसे कि ये नक़ाब उतार कर रख दे तू,
और आइना देख महज खुद को देखने के लिए,
छुपाने के लिए नहीं…
कहें मुझसे कि तू दर्द का चेहरा है,
दरारों से भरा हुआ, बिगड़ा हुआ…
दर्द जो हसीं है, इश्क़ है..
कहें मुझसे की तू दर्द है, हसीं है, इश्क़ है…



Comments