Main Har Bewafa Shaks Ki Aukaat Likhti Hun by Goonj Chand

Main Har Bewafa Shaks Ki Aukaat Likhti Hun by Goonj Chand

Main Har Bewafa Shaks Ki Aukaat Likhti Hun by Goonj Chand

हाथ में दर्द लिए गमो के पन्ने बिछा उनपे अपने जज़्बात लिखती हूँ
जी हाँ मैं वही हूँ जो हर बेवफा शख्स की औकात लिखती हूँ

जब वफ़ा करने का दम नहीं तो कियूं किसी की ज़िन्दगी में जाते हो
और तो और ज़िन्दगी भर साथ निभाने की झूठी कसमें भी खाते हो
तुम जैसे झूठे लोगो को ही में सरे आम बे नक़ाब करती हूँ
जी हाँ मैं वही हूँ जो हर बेवफा शख्स की औकात लिखती हूँ

अकेले में इतना प्यार जिसकी कोई हद नहीं
और महफ़िल में हम जस्ट फ्रेंड है और कुछ नहीं
लोगो की इन्ही सब बातो से में उनका डबल फेस भी भाप लेती हूँ
जी हाँ मैं वही हूँ जो हर बेवफा शख्स की औकात लिखती हूँ

तुम्हे क्या लगता है बेवफाई करने की कोई सजा नहीं होती
वक़्त आने पर इन जैसे लोगो के पास हसने की कोई वजह नहीं होती
इसलिए हर गलत चीज़ के खिलाफ में अपनी आवाज़ रखती हूँ
जी हाँ मैं वही हूँ जो हर बेवफा शख्स की औकात लिखती हूँ

हाथ में दर्द लिए गमो के पन्ने बिछा उनपे अपने जज़्बात लिखती हूँ
जी हाँ मैं वही हूँ जो हर बेवफा शख्स की औकात लिखती हूँ



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