Chakkar by Nidhi Narwal

Chakkar by Nidhi Narwal


Chakkar by Nidhi Narwal


किसी भी रिश्ते मे रूठना मानना चलता है
कभी कभी दूरिया भी जाती है
बहुत ज्यादा मगर यार ऐसा है
कि अगर तुम्हारे दिल मे और उस शख्स
के दिल में तुम्हारे लिए और तुम्हारे दिल
मे उस शख्स के लिए जो फिक्र हैं

ना वो सच्ची है तो तुम्हें ये बात हमेशा
याद रखनी चाहिए कि जो दूरिया है
ये बस कुछ पल की है और अक्सर बातें
याद रखने के लिए हम क्या करते हैं

तो यही बात खुद को याद दिलाने के
लिए लिखा हैं मेने एक ख्याल चक्कर

एक बहुत बड़ा गोल सा चक्कर है
किसी मैराथन ट्रैक के जैसा
इस चक्कर का अखिर चक्कर क्या है
देखो इस चक्कर पर तुम और मैं
खड़े हैं तुम नहीं तुम और मैं मगर एक

दूसरे की तरफ पीठ करके
तुम उस तरफ मुह किए हो और मैं
इस तरफ क्युकी अभी अभी हम दोनों
ने अपनी अपनी अना को अपनी अपनी
मोहब्बत से उपर रखकर ये तय किया है

कि अब से तुम उस तरफ चलोगे और
मैं इस तरफ कुछ फैसले लिए है
कि अब से ये राहें अलग अलग हैं
अब से हाथ पकड़कर क्या हाथ छोडकर

भी साथ नहीं चलना
तुम रोने लगे तुम्हारे पास भागते
हुए नहीं आना हैं और अगर मैं गिरने
लगी तो तुम ये हरगिज़ नहीं दिखाओगे

कि तुम अब भी परवाह करते हो
और पीछे नहीं मुड़ना याद रखना
पीछे नहीं मुङना याद रखना बिल्कुल
ऐसा ही करना हैं अलग अलग चलना है

अकेले चलना हैं चलते जाना है
एक दूसरे से दूर होते जाना हैं और
पीछे मुड़कर नहीं देखना हैं टस से मस
नहीं होना है चाहे कुछ भी हो जाए

1 सेकंड,
तब क्या होगा जब इस बड़े से चक्कर की
ये दो राहे जिन पर हम अलग अलग
चल रहे हैं ये दोनों एक दूसरे की तरफ
आने लगेंगे तुम यहा आने लगोगे मैं वहां
जाने लगूंगा ना तुम वापिस मुड़ पाओगे

ना मैं वापिस मुड़ पाउंगा क्युकी पीछे नहीं
मुड़ ना हैं ये तो हमने तय किया था और
चलो मान ले मुड़ जाते हैं दोनों मे से
अगर कोई भी एक शख्स मुड़ा और वो

दूसरा नहीं मुड़ा तो वो एक दूसरे के पीछे
चलने लग जाएगा और मानो अगर दोनों
के दोनों मुड़ गए तो वो दोनों एक दूसरे
की तरफ चलने लग जाऐंगे ये सिलसिला
चलता रहेगा तुम और मैं चलते रहेंगे

कभी इस तरफ कभी उस तरफ और घूमते
फिरते कभी एक दूसरे की तरफ और
वेसे ना अलग अलग दिशा मे चलने मे भी
मुझे कोई ऐतराज़ नहीं क्युकी देखो दो

लोग है एक यहा खड़ा है एक यहा खड़ा हैं
ईन दो लोगों को अगर एक दूसरे से दूर
जाना हैं तो अलग अलग दिशा मे चलना
पड़ेगा मगर अगर उन लोगों को एक
दूसरे के करीब आना है तो भी अलग
अलग दिशा मे ही चलना पड़ेगा

तुम्हारा और मेरा रिश्ता महज एक चक्कर
के जेसा है तुम यहा जाओ या यहा वहा
जाओ तुम कहीं ना कहीं मुझसे टकरा ही

जाओगे और फिर अलग अलग भी चलोगे
घूम फिर कर मेरे पास ही आओगे अब
ज़माना यू ही थोड़ी ना कहता हैं कि
इसका और इसका चक्कर चल रहा है

 


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