Ae Fauji Kahan Rakhun Tujhko Mera Dil Tere Kad Se Chota Hai..
ऐ फौजी, कहाँ रखूं तुझको, मेरा दिल तेरे कद से छोटा है..
तेरे इज्जत की क्या बात करूँ, कोई इतना बड़ा भी होता है..
यहाँ रिश्तों के सन्नाटे में कोई किसी को वक़्त कहाँ दे पाता है..
इस देश में बेगानो पे भी तू जान लुटाकर आता है..
यहां वक़्त बुरा आ जाये तो, कोई कहाँ खड़ा भी होता है..
तेरे इज्जत की क्या बात करूँ, कोई इतना बड़ा भी होता है..
तेरे घर की दिवाली में फौजी अरमान जलाये जाते है..
तेरी अम्मी की हर दुआ में भी रमज़ान निभाए जाते है..
अपनों के बिना हर त्योहारों का रंग भी फीका होता है..
तेरे इज्जत की क्या बात करूँ, कोई इतना बड़ा भी होता है..
मेरी पंखुड़ियों के रंगो से, वर्दी का रंग निराला है..
मेरा काबा तू, मेरा चर्च तू, और तू ही मेरा शिवाला है..
इस वर्दी के अंदर शायद छुपा एक फरिश्ता होता है..
तेरे इज्जत की क्या बात करूँ, कोई इतना बड़ा भी होता है..
तेरे पाँव से लिपटे बच्चे को, तू छुड़ा गया था सीमा पर..
तेरी बीवी के हर आंसू पर तू लुटा गया था भारत माँ पर..
कोई अपने परिवार से क्या इस कदर बेवफा होता है..
तेरे इज्जत की क्या बात करूँ, कोई इतना बड़ा भी होता है..
जब तिरंगे में लिपटकर तेरी लाश घर को आई तो..
गर्व था तेरे बाप को पर आँख भी भर आई तो..
मर जाये मिट्टी के लिए, कोई इस कदर भी जिया होता है..
तेरे इज्जत की क्या बात करूँ, कोई इतना बड़ा भी होता है..
आसमानो की बुलंदी आगे तेरे छोटी पड़ी..
कर्जा तेरा इस देश पर इज्जत तेरी सबसे बड़ी..
पियूष भी क्या लिख पायेगा किरदार बड़ा जब होता है..
तेरे इज्जत की क्या बात करूँ, कोई इतना बड़ा भी होता है..
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