Badi Haseen Hogi Tu Ae Naukri,
बड़ी हसीन होगी तू ऐ नौकरी,
सारे युवा आज तुझपे ही मरते है..
सुख चैन खोकर, चटाई पे सोकर,
सारी रात जागकर पन्ने पलटते है..
दिन में तहरी और रात को मैगी,
आधे पेट ही खाके तेरा नाम जपते है..
सारे युवा आज तुझपे ही मरते है..
अंजान शहर में छोटा सा सस्ता रूम लेके,
किचन बैडरूम सब उसी में सहेज के,
चाहत में तेरी अपने माँ बाप, भाई बहन,
और दोस्तों से दूर रहते है..
सारे युवा आज तुझपे ही मरते है..
राशन की गठरी सिर पर उठाये,
अपनी मायूसी और मजबूरियां खुद ही छुपाये,
खचाखच भरी ट्रैन में बिना टिकट के,
रिस्क लेकर सफर करते है..
सारे युवा आज तुझपे ही मरते है..
इंटरनेट अखबारों में तुझको तलाशते,
तेरे लिए पत्र पत्रिकाएं पढ़ते पढ़ते,
बत्तीस साल तक के जवान कंवारे फिरते है..
बड़ी हसीन होगी तू ऐ नौकरी,
सारे युवा आज तुझपे ही मरते है..
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