Nek Ne Nek Aur Bure Ne Bura Jaana Mujhe
नेक ने नेक और बुरे ने बुरा जाना मुझे,
जिसकी जितनी फितरत थी, उसने उतना पहचाना मुझे..
फ़र्क़ ना पड़ता अगर वो बुरा ही जानते मुझे,
सह हम ये ना पाए कि नेक कहने के बाद बुरा उन्होंने माना मुझे..
बदलता तो मौसम था पर बदल वो इंसान गए,
जिसकी जैसी फितरत थी, वो वैसा मुझे पहचान गए,
काश बदलते मौसम के साथ मैं भी बदल जाता,
नेक को बुरा और बुरे को नेक कह पाता..
यूँ तो कहने से कुछ नहीं बदलता,
वरना मैं सब से पहले खुद को बदलता..
मौसम तो आज भी बदल रहा है,
पर ये मासूम दिल आज भी उन्हें नेक समझ रहा है..
मैं इस बेवक़ूफ़ दिल को कैसे समझाऊं,
कि वो नेक को बुरा और बुरे को नेक मान चुके है,
उनकी जैसी फितरत थी, वो वैसा पहचान चुके है..
ये पहचान तो मैं बदल नहीं पाउँगा,
पर एक दिन उन्हें जरूर भुला जाऊंगा..
याद तो तब भी उन्हें मैं किया करूँगा,
पर फ़र्क़ सिर्फ इतना होगा कि उनको बुरा वक़्त समझ लिया करूँगा..
और ऐ खुदा अब मुझे सिर्फ उसी से मिलाना,
जो नेक को नेक और बुरे को बुरा जाने,
तब तक भले ही मुझे कोई ना पहचाने..
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