Main Apni Pehchan Banaunga – Motivational Poetry

Main Apni Pehchan Banaunga


Main Apni Pehchan Banaunga – Motivational Poetry
Main Aajkal Kyun Itna Hairan Hoon,
Shayad Apni Jindagi Se Pareshaan Hoon..

मैं आजकल क्यों इतना हैरान हूँ..
शायद अपनी ज़िंदगी से परेशान हूँ..
सबकुछ अजीब सा लगता है..
जब उजाले में भी अँधेरा ही दिखता है..

कुछ भी करने में डर सा लगता है..
क्यूंकि हर तरफ मुश्किलों का पहाड़ जो गिरता है..
शायद इसी वजह से मैं हैरान हूँ..
और अपनी जिंदगी से परेशान हूँ..

कम्बख्त इन पहाड़ो से कौन डरता है..
इन पर तो चढ़ने का दिल करता है..
फिर भी लाचार मैं हो जाता हूँ..
जब पहाड़ पर नया पहाड़ गिरता पाता हूँ..

काश मैं कुछ एहसास कर पाता कि,
मुसीबतो से बच जाता या फिर पहाड़ो को चीर के निकल जाता..
फिर भी शायद मैं हैरान रहता,
तब किसी और वजह से परेशान रहता..

जो मजा पहाड़ के ऊपर से निकलने में है..
वो कहाँ उससे बच के निकलने में है..
आखिर ऊपर से ही तो आस्मां साफ़ दिखता है..
नीचे तो धूल में ही इंसान बसता है..

धूल में रहना किसे अच्छा लगता है..
मेरा भी दिल आसमान में उड़ने को करता है..
क्या मैं खुद को खुशकिस्मत कह सकता हूँ..
क्यूंकि मुझे हरतरफ मुसीबतो का पहाड़ जो दिखता है..

आखिर इन पहाड़ो पर चढ़कर ही तो, मैं आस्मां छू पाउँगा..
और अपनी हैरान परेशान जिंदगी को एक मुकाम पर पहुंचा पाउँगा..
मुझे पुरी उम्मीद है कि मुकाम पर पहुंचकर भी मैं हैरान हो जाऊंगा..
जब मुकाम के आगे भी एक और अनजान जिंदगी पाउँगा..
उस वक़्त भी मैं हैरान हो जाऊंगा,
क्यूंकि तब मैं परेशान ना होकर एक नई पहचान बनाउँगा..

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