Ek Ladke Ke Dil Me Kitna Dard Rehta Hai by Aarav Singh

Ek Ladke Ke Dil Me Kitna Dard Rehta Hai by Aarav Singh


Apni Paidaish Se Hi Jo Apne Pariwaar Ki Ashao Ka Bojh Dhota Hai..
Tum Kya Jano Ek Ladke Ke Dil Me Kitna Dard Rehta Hai..

अपनी पैदाइश से ही जो अपने परिवार की आशाओं का बोझ ढोता है..
तुम क्या जानो एक लड़के के दिल में कितना दर्द रहता है..

बचपन से ही सिखाया जाता है कि तुम एक लड़के हो,
और एक लड़का कभी नहीं रोता है..
लग भी जाये कोई चोट तो भी वो किसी से नहीं कहता है..
और जो बहादुरी का भार रखा जाता है उसके ऊपर..
अपने आंसुओ को उसके पीछे छिपाकर वो जिंदगी भर जीता है..
और तुम क्या जानो एक लड़के के दिल में कितना दर्द रहता है..

वो बेरोजगारी की शर्मिंदगी, वो बहन की शादी का कर्ज..
जिसे चाहा था सच्चे दिल से, जब वो लड़की वो छोड़कर दूर चली जाती है..
ख़त्म कर ले खुद की जिंदगी ये इच्छा उस लड़के के मन में भी आती है..
पर फिर उसकी माँ का चेहरा उसकी आँखों के आगे आने लगता है..
मर जाएगी तेरी माँ ये सोचकर उसका दिल जोर से धड़कता है..
और फिर वो उसी टूटे हुए दिल के साथ जिंदगी भर जीता है..
और तुम क्या जानो एक लड़के के दिल में कितना दर्द रहता है..

जिंदगी कभी खुद की नहीं, जिया बस औरों के लिए..
कभी माँ बाप, कभी बीवी, कभी बच्चों के लिए अपने हर पल दिए..
कभी माँगा नहीं बदले में कुछ भी, बिना शर्त ही सबकुछ सहता है..
और तुम क्या जानो एक लड़के के दिल में कितना दर्द रहता है..


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