Meri Neende Udakar Wo Chain Ki Neend Sota Hai..
मेरी नींदे उड़ाकर वो चैन की नींद सोता है..
और रोज दस बजे बाद वो दारू के अड्डे पर होता है..
मैं ये नहीं कहती कि पीना ही छोड़ दे..
पर यार ये रोज रोज पीना भी कहाँ अच्छा होता है..
डेली दस बजे बाद वो दारू के अड्डे पर होता है..
कहता है बहुत गम है मेरी जिंदगी में इसलिए पीता हूँ..
अरे भाई तुझे क्या लगता है कि औरतो की जिंदगी में कोई गम नहीं होता है..
और डेली दस बजे बाद वो दारू के अड्डे पर होता है..
कहता है मैं पीता नहीं वैसे, पर दोस्त पिला देते है..
अरे ये दारू के चक्कर में दोस्तों को बदनाम करना भी अच्छा नहीं होता है..
और डेली दस बजे बाद वो दारू के अड्डे पर होता है..
झूठ तो वैसे बड़ी शिद्दत से बोल लेता है वो,
पर नशे में डगमगाई जबान को ये कहाँ पता होता है..
और डेली दस बजे बाद वो दारू के अड्डे पर होता है..
यकीन नहीं होता तो घर जाकर देख लेना उसके,
उसका कमरा भी रोज उसके इंतज़ार में अकेला ही सोता है..
और डेली दस बजे बाद वो दारू के अड्डे पर होता है..
मेरी नींदे उड़ाकर वो चैन की नींद सोता है..
और रोज दस बजे बाद वो दारू के अड्डे पर होता है..
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