Ek Ladki Hoon Main Poetry by Abhash Jha

Ek Ladki Hoon Main Poetry by Abhash Jha


Ek ladki Hoon Main, Koi Cheej Nahin.
Apni Batoon Ko apne Paas hi Rakhna,
I am A Girl, Koi Piece Nahin.
एक लड़की हूँ मैं, इंसान हूँ, कोई चीज नहीं.
अपनी बातों को अपने पास ही रखना,
I am a Girl, कोई Piece नहीं.
मेरे कपड़ो के पहनने के ढंग पे सवाल उठाते हो तुम,
मेरी मर्जी पे अपना हक़ जताने वाले, कौन होते हो तुम?
हर मेरी बात को, हर मेरे काम को, गलत क्यों बताया जाता है?
गुनाह कोई और करे पर कुसूरवार मुझे ठहराया जाता है.
मेरे कोई काम करने से पहले, क्यों लोग बीच में आते है?
लोग क्या कहेंगे, लोग क्या कहेंगे, लोग ही लोगों से डराते है.

अँधेरा होने के बाद घर से बाहर मत निकलना,
लोग गलत समझेंगे.
दुपट्टा जरा भी सरक ना जाये, लोग क्या कहेंगे.
कल तुम किस लड़के के साथ थी? "पडोसी ने कहा"
लड़की हो तुम, अपनी Limitations पता है ना.
वाह! सोसाइटी की मर्जी से मेरी लाइफ के Rules सेट होंगे.
जैसे वो मुझे चलाना चाहेंगे, वैसे ही मुझे चलना पड़ेगा.
नहीं तो लोग क्या कहेंगे?
लोग क्या कहेंगे, उस Reason से मैं कहना बंद कर दूँ.
आवाज उठा दूँ जरा सी तो "मैं बद्तमीज हो गयी हूँ"
मेरे साथ कुछ भी गलत होगा, उसकी ज़िम्मेदार सिर्फ मैं ही हूँ.
मेरा ही कोई चक्कर रहा होगा, तभी तो आज इस हालत मैं हूँ.

अपनी बातों से सताती है ये सोसाइटी मुझे,
पर कोई भी खुद पे Guilty नहीं.
कब समझेगी ये दुनिया की अकेली लड़की,
Responsibility होती है Opportunity नहीं.
अब और क्या बताऊँ आपको,
मैं बस स्टॉप पे बस का इंतज़ार करती हूँ,
तो बहुत ही ज्यादा बुरे तरीके से मुझे घूरा जाता है.
बस में भीड़ होती है, मानती हूँ,
पर क्यों इंटेंशनली मुझे बार बार छुआ जाता है.

एक लड़के के साथ लड़कियों का ग्रुप हो,
तो वो Cool Stud  कहलाता है.
पर लड़को के साथ में अगर एक लड़की Present हो,
तो क्यों उसे Slut का Tag दिया जाता है.
मेरे कपड़ो पे लोगों की नजर रहती है,
अपनी नजर पे नजर नहीं.
ये अंकल, ये आंटी, मुझे बेशर्म कहते है,
शायद अपनी सोच की इनको खबर नहीं.

मुझे कमजोर समझने की भूल मत करना,
जो शायद तुम समझते हो.
मैं छोड़ने वालों में से नहीं हूँ, इसीलिए अपने आप में रहो.
मेरी लाइफ है, मेरी मर्जी, सोसाइटी के तरीके से, मैं चलूंगी नहीं.
अच्छा लगेगा जब कोई मुझे प्यार से देखे,
ऐसे देखे कि मैं अपने बाल Adjust करूँ, अपना Top नहीं.


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