Aakar Ke Teri Toli Me, Tujhe Rang Lagaun Holi Me..
आकर के तेरी टोली में, तुझे रंग लगाऊं होली में..
कि तेरा इश्क़ पीसकर पी जाऊंगा, मैं तो भांग की गोली में..
चढ़कर ना ये भांग उतरेगी, कुछ ऐसा नशा चढ़ाऊंगा..
तेरे होंठ से अपने होंठ सटाकर, दबाके मीठा खाऊंगा..
तेरा ही रंग दिखेगा बस, मेरे दिल की रंगोली में..
तेरा इश्क़ पीसकर पी जाऊंगा, मैं तो भांग की गोली में..
मस्ती में ढोल बजाऊंगा, मैं तो सारारारा गाऊंगा..
तुझे उठाकर गोदी में, मैं अंग से अंग लगाऊंगा..
तुझे सुर्ख लाल रंग दूंगा मैं, गुलाल मिलाकर रोली में..
तेरा इश्क़ पीसकर पी जाऊंगा, मैं तो भांग की गोली में..
तुझको भी होगी चढ़ी हुई, सब गोल गोल दुनिया होगी..
मन मेरा मोहने को, पिंजरे वाली मुनिया होगी..
तेरा हाथ पकड़कर नाचूंगा, मैं तो मस्ती में, हंसी ठिठोली में..
तेरा इश्क़ पीसकर पी जाऊंगा, मैं तो भांग की गोली में..
तू इतने मेरे पास रहे, जैसे सीने में साँस रहे..
इस हद तक मुझमें शामिल तू, जैसे रूह पे तन का लिबास रहे..
तुझे उठाकर ले जाऊंगा, मैं तो दुल्हन की डोली में..
तेरा इश्क़ पीसकर पी जाऊंगा, मैं तो भांग की गोली में..
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