Jo Kabhi Tum Mohabbat Karo To Pata Chale,
Siddat Se Kisi Ko Chaho To Pata Chale,
Yun Ishq To Tumne Bhi Kiya Hoga Kai Dafa,
Lekin Kabhi Tut ke Chaho Aur Bikhar Jao To Pata Chale.
Siddat Se Kisi Ko Chaho To Pata Chale,
Yun Ishq To Tumne Bhi Kiya Hoga Kai Dafa,
Lekin Kabhi Tut ke Chaho Aur Bikhar Jao To Pata Chale.
जो कभी तुम मोहब्बत करो तो पता चले..
शिद्दत से किसी को चाहो तो पता चले..
यूँ इश्क़ तो किया होगा तुमने भी कई दफा,
लेकिन कभी टूट के चाहो और बिखर जाओ तो पता चले..
जो कभी मोहब्बत करो तो पता चले...
क्या याद है तुमको हमारी मोहब्बत का वो जमाना..
वो सर्द रातों में रजाई में घुसकर मेरा तुमसे घंटो बतियाना..
अरे कितने झूठे थे तुम्हारे वो वादे तुम्हारे वो massages..
जो वो chat पढ़के दोबारा आके मुझसे नजरे मिला सको, तो पता चले..
जो कभी मोहब्बत करो तो पता चले...
जो वो chat पढ़के दोबारा आके मुझसे नजरे मिला सको, तो पता चले..
और जो love you forever लिख दिया करती थी तुम हमेशा आखिर में,
कभी फुर्सत में आकर उस forever शब्द के मायने मुझे समझा जाओ, तो पता चले..
जो कभी मोहब्बत करो तो पता चले...
खैर अब तो मेरे Call logs में भी कहाँ नजर आती हो तुम..
अब तो मेरे call logs में भी कहाँ नजर आती हो तुम..
वो सुबह चार बजे तक चलने वाला फ़साना शायद रकीब को ही सुनाती हो तुम..
और बातें तो वो भी करता होगा बेहिसाब तुमसे,
लेकिन कभी सर्द रात में फ़ोन चार्ज पे लगा के तुमसे बतिया सके, तो पता चले..
जो कभी मोहब्बत करो तो पता चले...
और जो कभी तलब हो तलाश हो मेरी तरह उसे भी तुम्हारी अगर,
तो Block हो के facebook पे बार बार तुम्हारा नाम डाल के सर्च करता रहे, तो पता चले..
जो कभी मोहब्बत करो तो पता चले...
खैर मैं जानता हूँ वो भी नहीं देख पाता होगा तुम्हें जख्मी होते हुए,
अरे आखिर कोई कैसे देख ले तुम्हारे कोमल बदन पर चोट लगते हुए..
अरे यूँ मरहम तो वो भी बना होगा तुम्हारे घावों पे,
अरे यूँ मरहम तो वो भी बना होगा तुम्हारे घावों पे,
लेकिन कभी तुम्हारी अंगुली कट जाने पर अपनी जीभ तले दबा सके, तो पता चले..
जो कभी मोहब्बत करो तो पता चले...
लेकिन कभी तुम्हारी अंगुली कट जाने पर अपनी जीभ तले दबा सके, तो पता चले..
और जिंदगी तो उसने भी माना होगा तुम्हें,
लेकिन कभी खुदा मान के इबादत कर सके, तो पता चले..
जो कभी मोहब्बत करो तो पता चले...
खैर अब तो जाती हो तुम उसके संग दो जहानों में,
घूमती हो उसका हाथ थामे शहर शहर ठिकानो में..
लेकिन है हिम्मत तुम में अगर तो जहां किया था मुझसे ताउम्र साथ निभाने का वादा,
कभी उस वीराने हो आओ तो पता चले..
हमारी मोहब्बत को गुमनाम तो कर दिया है तुमने हर जगह से,
लेकिन वो दरख्त जहाँ पे गुदा है नाम मेरा और तुम्हारा,
जाओ और उसे बेनाम कर आओ, तो पता चले..
जो कभी मोहब्बत करो तो पता चले...
खैर अब तो उसके संग कई रातें भी बिताई होगी तुमने..
सिरहाने उसके बैठकर वो कहानियाँ भी सुनाई होगी तुमने..
सिरहाने उसके बैठकर वो कहानियाँ भी सुनाई होगी तुमने..
सुबह की चाय भी जो पीती हो उसके साथ अक्सर,
और बची हो हलक में थोड़ी सी भी वफ़ा अगर,
सुबह की चाय भी जो पीती हो उसके साथ अक्सर,
और बची हो हलक में थोड़ी सी भी वफ़ा अगर,
तो वो जो मेरे मुँह लगी कॉफ़ी जो मेरे साथ बैठकर पिया करती थी,
उस कॉफ़ी का एक घूंट भी अपने गले से उतारकर दिखा सको तो, पता चले..
जो कभी मोहब्बत करो तो पता चले...
उस कॉफ़ी का एक घूंट भी अपने गले से उतारकर दिखा सको तो, पता चले..
और जो कभी तुम जानना चाहो कि गम ए तन्हाई क्या है,
और जो कभी तुम जानना चाहो कि गम ए तन्हाई क्या है,
तो उस cafe में जैसे मैं जाता हूँ अकेले जाके एक शाम बिता आओ, तो पता चले..
जो कभी मोहब्बत करो तो पता चले...
खैर तुम्हें तो शायद लगता होगा कि बर्बाद हो गया हूँ मैं,
लेकिन नहीं इस गम में रहकर हर गम से आजाद हो गया हूँ मैं..
अरे कितना चैन और सुकून है उस नींद में,
कितना चैन और सुकून है उस नींद में..
जो वो तकिया आंसुओ से गीला करके फिर पलट के उस पे सो सको, तो पता चले..
जो कभी मोहब्बत करो तो पता चले...
Hello Brother, I liked this poetry.. I want to recite it on my channel. please allow me to this. please it is request..
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