Dushmano Ke Sar Dhad Se Alag Karke Aaunga..
इस खत में सरहद पे खड़े एक जवान की कहानी है..
जिसने देश के नाम लिख दी अपनी जवानी है..
मेरी सांसे बाकि रही तो मैं चलकर आऊंगा..
नहीं तो मैं तिरंगे में लिपटकर आऊंगा..
माँ मेरा इंतज़ार करना,
मैं देश के दुश्मनो से निपटकर आऊंगा..
माँ मैं एक दिन घर आऊंगा..
तुमसे पहले मैं भारत माँ को एक वचन दे चुका हूँ..
मेरी रगो में बहते रक्त का एक एक कण दे चुका हूँ..
अपनी मिट्टी के लिए कटाकर अपना सर आऊंगा..
माँ मेरा इंतज़ार करना, मैं एक दिन घर आऊंगा..
मैं यहाँ जाग रहा हूँ, ताकि देश चैन से सोये..
ना ही को दुश्मन अंदर आ सके और ना ही कोई अपनों को खोये..
मेरे साथी मुझे सलामी देंगे, मैं अमर कहाऊंगा..
माँ मेरा इंतज़ार करना, मैं एक दिन घर आऊंगा..
मेरी बहन से कहना कि राखी जल्दी भिजवाए..
कह देना पापा से कि दवाइयां टाइम पे खाये..
और अपनी बहु से कहना कि अपनी मांग का सिन्दूर ना पोंछे,
मैं आपने खून से उसकी मांग भरकर जाऊंगा..
माँ मेरा इंतज़ार करना, मैं एक दिन घर आऊंगा..
मेरे कर्त्तव्य से ज्यादा कुछ भी खूबसूरत नहीं है..
मुझे किसी अवार्ड की भी जरुरत नहीं है..
मेरे साथियों से जो काम अधूरा छूट गया है,
मैंने शपथ ली है कि उसे पूरा करके आऊंगा..
माँ मेरा इंतज़ार करना, मैं एक दिन घर आऊंगा..
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