Haan Thoda Sa To Thoda Sa Dard To Hai..
हाँ थोड़ा सा तो थोड़ा सा दर्द तो है..
तेरे जाने से थोड़ा सा दर्द तो है,
तेरे वापस ना आने से दर्द तो है,
भले जरा सा ही सही पर दर्द तो है,
वो सीने से लिपट के मिलती बदन की गर्मी हो,
या तुझे देखे बिना देखने से मिलती मन की सर्दी हो,
आज भी वो सबकुछ है, पर सिर्फ यादों में..
उनको वापस ना पाते थोड़ा सा तो थोड़ा सा दर्द तो है..
हाँ अब फेसबुक पर तेरे चेहरे को देख तो सकते है,
पर लाइक नहीं कर सकते..
थोड़ा सा तो थोड़ा सा ईगो तो है..
हाँ अब तुझे स्नैपचैट पे सर्च करके,
"यार ब्लॉक तो नहीं कर दिया ना"
ऐसा करके तसल्ली कर सकते है,
पर अब ऐड नहीं कर सकते..
थोड़ा सा तो थोड़ा सा ऐटिटूड तो आज भी है..
पर उन सब के परे थोड़ा सा तो थोड़ा सा प्यार तो है..
मुस्कान देखें या खुद मुस्कुराएं,
इस बात का Confusion तो है..
थोड़ा सा तो थोड़ा सा प्यार तो है..
बात बात पे सेंटी सिंह होना,
और वही अलफ़ाज़ सुनने के लिए कुछ भी कर जाना,
भले ही आज उस बात पे थोड़ी हसीं आती हो,
पर उन बचकानी हरकतों में छुपी,
तेरे अटेंशन को पाने की चाह तो है..
भले गुस्से वाला ही सही, थोड़ा अकड़ू ही सही,
थोड़ा सा तो थोड़ा सा प्यार तो है..
पर अब बहुत हुआ, हां अब बहुत हुआ..
इन सब को ख़तम करने की चाह है..
बस एक ही आदत है जिसको ख़त्म करने की चाह है,
तुझे याद करते रहने की आदत,
तेरे ना होने पर तेरे होने को मानने की चाहत..
एक वक़्त के बदलने के बाद तू भी बदल जाएगी,
वापस आ जाएगी उस चाह की चाहत..
और फिर से वही मुस्कान देखने के लिए मैं फिर से मुस्कुराऊंगा,
और फिर से जिंदगी जियूँगा, उस जिंदगी की चाहत..
बस ये सब आदत है जिसको ख़तम करने की चाहत तो है..
पर रोक लेता हूँ खुद को,
क्योंकि थोड़ा सा तो थोड़ा सा, थोड़ा अकड़ू सा थोड़ा गुस्से वाला सा,
थोड़ा सा तो थोड़ा सा प्यार तो है..
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