Hum To Bas Pravaasi Hai by Tapsee Pannu
Hum To Bas Pravaasi Hai…
Kya Is Desh Ke Vaasi hai?
हम तो बस प्रवासी है…
क्या इस देश के वासी है?
अगर हम नहीं है इंसान…
तो मार दो हमें, दे दो फरमान…
खाने को तो कुछ ना मिल पाया…
भूख लगी तो डंडा खाया…
फांसले तय किये हजारों मील के…
कुछ साइकिल पे तो कुछ पैर नंगे…
मरे कई भूख से और कई धुप से….
पर हिम्मत ना टूटी बड़ों के झूठ से…
बस से भेजकर, रेल से भेजकर…
जान खो बैठे रास्ते भूलकर…
यहाँ प्रतिमाओं की बड़ी है हस्ती…
पर इंसानो की जान है सस्ती…
बड़े सपने अच्छे दिन बताये…
पर भूख किसी की मिटा ना पाए…
चाहिए ना भीख ना दान…
बस ना छीनो आत्मसम्मान…
हम तो बस प्रवासी है…
क्या इस देश के वासी है?
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